निर्जन टापू और तीन ख्वाइशें
निर्जन टापू और तीन ख्वाइशें
संतासिंह, उनका एक जापानी मित्र और एक ब्रिटिश घूमते हुए निर्जन टापू पर पहुंच जाते हैं। चलते- चलते उन्हें एक चिराग मिलता है। जापानी चिराग को घिसता है तो उसमें से एक जिन्न बाहर आता है। कहता है कि मैं आप तीनों की एक-एक इच्छा पूरी करूंगा।
जापानी कहता है कि मैं अपने घर वापस जाना चाहता हूं। जिन्न हाथ घुमाता है और वो घर पहुंच जाता है। ब्रिटिश भी अपने घर जाने की इच्छा रखता है और वह भी घर पहुंच जाता है। संतासिंहजी सोच में पड़ जाते हैं और अपनी इच्छा बताते हुए कहते हैं कि भई, उन दोनों के जाने से मैं तो अकेला पड़ गया, तुम ऐसा करो उन दोनों को वापस बुला लो | जिन्न हाथ घुमाता है और वो दोनों वापस आ जाते हैं।

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