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    भगवान शब्‍द का त्‍याग - ओशो


    भगवान शब्‍द का त्‍याग - ओशो


    (मजाक पूरा हुआ-ओशो)

    मैं स्‍वयं को भगवान कहता रहा हूं। सिर्फ एक चुनौती की तरह—चुनौती, इसाइयों को, मुसलमानों को, हिन्‍दुओं को….। उन सभी ने मेरी निंदा की, लेकिन कभी उसका कारण नहीं समझा पाए। कितने ही लेख छपे, कितने ही पत्र मेरे पास आए कि ‘आप स्‍वयं को भगवान’ क्‍यों कहते हो? और मैं हमेशा ही हंसा, क्‍योंकि राम स्‍वयं को भगवान क्‍यों कहते है? क्‍या उनको किसी कमेटी न तय किया है? और एक कमेटी के द्वारा तय किया गया भगवान क्‍या खाक भगवान होगा, क्‍योंकि कमेटी तो भगवानों की नहीं होगी। उनके पास क्‍या अधिकार हे?
    क्‍या कृष्‍ण को लोगों ने भगवान चुना था? किसने चुना था इन लोगों को? किसी हिंदू के पास उत्‍तर नहीं है। और कृष्‍ण जैसे भगवान ने तो सोलह हजार स्‍त्रियों को चुराया था—उनमें माँएं थी, विवाहित थी, अविवाहित थी, सब तरह की—और फिर भी किसी हिंदू में यह कहने का साहस नहीं है कि इस तरह के चरित्र के व्‍यक्‍ति को भगवान कैसे कहा जा सकता है। वे तो अपने कल्‍कि अवतार को भी भगवान कहते है। जो कि ऐ घोड़ा है। अजीब लोग है। और वे पूछते है कि मैं स्‍वयं को भगवान क्‍यों कहता हूं। इस शब्‍द के प्रति मेरे मन में कोई सम्‍मान नहीं है। वास्‍तव में मैं पूरी तरह इस शब्‍द की निंदा करता हूं। यह कोई सुंदर शब्‍द नहीं है—जबकि मैंने अपनी तरफ से इसे बदलने की कोशिश की है। लेकिन मूढ़ हिंदुओं ने इसे बदलने नहीं दिया। मैंने इसे एक नया नाम, एक नया अर्थ, एक नया महत्‍व देने की कोशिश की। मैंने कहा कि भगवान का अर्थ है: भाग्‍यवान, जिसके प्राण धन्‍य हुए। इस शब्‍द का यह अर्थ मेरा ही अविष्‍कार था।

    भगवान बहुत ही गंदा शब्‍द है। लेकिन हिंदुओं को इसकी कोई खबर नहीं है। इसके मूल ‘भग’ का अर्थ है स्‍त्री की जननेंद्रिय। और ‘वान’ का अर्थ है। पुरूष की जननेंद्रिय। प्रतीक रूप से भगवान शब्‍द का अर्थ है। कि वह अपनी पुरूष ऊर्जा के द्वारा स्‍त्रैण ऊर्जा, सृष्‍टि का निर्माण करता है।

    मैं घृणा करता हूं इस शब्‍द से। हिंदू समझते है कि यह कोई बड़ा पवित्र शब्‍द है और मुझे अपने आप को भगवान कहलाने को कोई अधिकार नहीं है। लेकिन आज मैं कहता हूं, ‘’मुझे इस शब्‍द का त्‍याग करने का पूरा अधिकार है। कोई मुझे नहीं रोक सकता। मैं दोबारा कभी भी भगवान कहलाना नहीं चाहता। इतना काफी है। मजाक पूरा हुआ।

    -ओशो

    नो माइंड: दी फ्लावर्स ऑफ इटर्निटी, दिसंबर, 1988

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