जान बची तो लाखों पाए
जान बची तो लाखों पाए
पन्नूजी का तकियाकलाम था - इससे भी बुरा हो सकता था। बात-बात में यही कहते रहते ।
एक बार का किस्सा है। पड़ोसी पीटर जब लंबे दौरे से लौटा तो पत्नी के साथ अजनबी को सोया देख, आगबबूला हो गया। उसने पिस्तौल निकालकर दोनों को उड़ा दिया। पुलिस ने उसे दोहरी हत्या के जुर्म में गिरफ्तार कर लिया।
इस घटना पर पन्नूजी की प्रतिक्रिया वही थी - इससे भी बुरा हो सकता था।
लोगों ने पूछा - इतना बुरा तो हो गया। इससे ज्यादा क्या बुरा हो सकता था भला?
पन्नूजी ने फरमाया- अगर पीटर एक रोज पहले दौरे से लौट आता, तो उस अजनबी की जगह मैं मारा जाता, मैं ।

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