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    आरती श्री सरस्वती जी की

     

    Aarti-of-Shri-Saraswati

    आरती श्री सरस्वती जी की


    आरती करूं सरस्वती मातु, हमारी हो भव भय हारी हो ।

    हंस वाहन पदमासन तेरा, शुभ्र वस्त्र अनुपम है तेरा । 

    रावण का मन कैसे फेरा, वर मांगत वन गया सबेरा ।

    यह सब कृपा तिहारी, उपकारी हो मातु हमारी हो । 

    तमोज्ञान नाशक तुम रवि हो, हम अम्बुजन विकास करती हो ।

    मंगल भवन मातु सरस्वती हो, बहुमूकन वाचाल करती हो । 

    विद्या देने वाली वीणा, धारी हो मातु हमारी। ।

    तुम्हारी कृपा गणनायक, लायक विष्णु भये जग के पालक । 

    अम्बा कहायी सृष्टि ही कारण, भये शम्भु संसार ही घालक ।

    बन्दों आदि भवानी जग, सुखकारी हो मातु सदबुद्धि विद्याबल मोही दीजै, तुम अज्ञान हटा रख लीजै हमारी ।

    जन्मभूमि हित अर्पण कीजै, कर्मवीर भस्महिं कर दीजे । 

    ऐसी विनय हमारी भवभय, हरी, मातु हमारी हो, आरती करूं सरस्वती मातु ॥

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