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    नारंगी से कीजिये भूख न लगने की समस्या का इलाज़

    Treat the problem of loss of appetite with orange


     नारंगी से कीजिये भूख न लगने की समस्या का इलाज़ 

    नजला और जुकाम-  खूब पकी हुई नारगी का चौथाई किलो रस धीमी आच पर रखे और 170 फारेनहाइट तक गर्म करें, फिर पाच ग्राम बनफ्शा के पत्ते डाल कर तुरन्त नीचे उतार लें, और पाच मिनट तक बर्तन का मुह बन्द रखें । तत्पश्चात् छानकर गरम-गरम पिला दें। दिन भर जब भी प्यास लगे यही प्रयोग करें । खाना बिल्कुल न खाना चाहिए । एक-दो दिन मे तबीयत ठीक हो जायेगी।

    खाँसी-खटाई खासी के लिये हानिकारक समझी जाती है परन्तु नारगी की खटाई खासी के लिए एक लाभदायक पदार्थ है । अच्छा तरीका यह है कि खांसी मे पकी हुई नारगी के रस मे मिश्री डाल कर पिया करें।

    भूख न लगना–यदि आप अनुभव करते हैं कि भूख बहुत कम लगती है, खाया-पीया जल्दी पचता नही और भोजन करने के पश्चात् इसके स्वाभाविक आनन्द से वचित रहते हैं तो निम्नलिखित टोटके से काम लेकर अपनी भूख ठीक कीजिए।

    नारगी छीलें और ऊपर चूर्ण सोठ तथा काला नमक छिडक कर खाए, एक सप्ताह मे ही भूख पहले से कही अधिक हो जाएगी।

    पसली का दर्द-नारगी की फा छिलका उतार कर छाव मे सुखा लें और कूट कर तथा कपडछन कर पानी के साथ सेवन करे, एक दो बार के उपयोग से पसली का दर्द चला जाएगा।

    टाइफायड- टाइफायड (सन्निपात ज्वर) के रोगी के लिए ऐसे आहार की आवश्यकता होती है जिसमे प्रोटीन की मात्रा न होने के समान हो । क्योकि रोगी की पाचन-शक्ति क्षीण होती है। रोगी को ऐसा आहार मिलना चाहिए जो मेदे पर भार न बने और तुरन्त पच जाए। ऐसी पावश्यकता केवल नारगी का रम ही पूरी कर सकता है । प्रतिदिन पाच-सात नारंगी का रस (थोडी-थोडी मात्रा मे) जहा रोगी को अधिक कमजोर नहीं होने देता वहा वढ़ती हुई प्यास भी बुझाता है । इसके अतिरिक्त नारगी का रस शरीर से विपला मल खारिज करता है । यदि रोगी को जौ का दलिया देना हो तो इसमे नारंगी का रस शामिल कर लेना चाहिए।

    हृदय-बलवद्ध फशवंत-नारगी का रस एक किलो, मिश्री एक किलो मर्क वेदमुश्क पाव किलो, अकं क्योडा पाव किलो-सब को मिलाकर शर्वत की चाश्नी तैयार करें। तीस ग्राम से साठ ग्राम तक एक कप पानी मे मिला कर उपयोग करें, गर्मी की तीव्रता को दूर करता है, हृदय को बल प्रदान करता है।

    नारंगी पेय-एक नारगी का रस, चीनी आवश्यकतानुसार, खाने का सोडा एक ग्राम।

    एक गिलास पानी में आवश्यकतानुसार कोई शर्वत मिला लें और खाने का सोडा इसमे घोल दें। अब एक ताजा नारगी छीलें और छिलके को दबा कर दो चार बूंद इसका रसशर्वत के गिलाम में डालें, सावधान रहे कि बहुत अधिक न पड़ जाए वरन् स्वाद बिगड जाएगा। फिर नारगी की फाऊँ स्वच्छ कपड़े में दवा कर रस निकालें और इसे सर्वत मे मिला दें, तुरन्त उफान उठेगा। उफान पैदा होते ही गिलास को मुह लगा कर पी जाइए, अत्यन्त जायकेदार शर्वत है।

    गण-धर्म-मेदे की सुजन तथा चुभन को तुरन्त शान्त करता है । ग्रीष्म ऋतु मे इसका उपयोग मन को शान्ति प्रदान करता है, पब्ज के सुद्दो को खोलता है । पीलिया के लिये एक चमत्कारी प्रौपधि है ।

    गर्मी में यात्रा करने के पश्चात् उपयोग करने से थकावट दूर करता है, पाचन बढाता तथा खूब भूख लगाता है ।

    नेत्र रोग-नारगी का रस और मधु वरावर वजन मिला कर रखें।

    दो-दो बूद प्रात तथा रात्रि को सोते समय माखो मे डालें । खुजली, घुन्ध, तथा कुक्करे दूर करतॆ 

    सुन्दर सन्तान- गर्भ-अवधि मे नारगी का अधिक उपयोग मुन्दर सन्तान उत्पन्न करने का एक गहरा रहस्य है, जिसका जी चाहे श्राजमा कर देख ले।

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