आयुर्वेद में धनिया से कीजिये स्वप्न दोष एवं मूत्राशय की जलन का समूल नाश
धनिया से कीजिये स्वप्न दोष का समूल नाश
मूत्राशय की जलन-
खुश्क धनिये की गिरी और कूजा मिथी दोनो तीन-तीन सौ ग्राम। ___बनाने की विधि-खुश्क धनिया लेकर मोटा-मोटा कूट कर इसका छिलका अलग करें और बीजो के अन्दर की गिरी ले लें-इस नुस्खे मे यही गिरी तीनसौ ग्राम चाहिए । माधारणत. साढे-चार सौ ग्राम धनिया मे तीन-सी ग्राम गिरी निकल पाती है। यदि कुजा मिथी न मिले तो उसके स्थान पर तवी की मिश्री, देशी चीनी या दानेदार चीनी नुस्खे मे शामिल कर लें, इससे दवा के प्रभाव में कोई अन्तर नही पडेगा।
दोनो वस्तुयो को अलग-अलग पीस कर आपस मे मिला लें।
लाभ-यह प्रौपधि मूत्राशय को उत्तेजना को दूर करने के लिए एक अद्वितीय चिकित्मा है । इसके प्रयोग से पोटासी ब्रोमाइड की तरह दिल और दिमाग कमजोर नहीं होते बल्कि इन्हे वल मिलता है। नजर की कमजोरी, घु घलाहट, सिर-दर्द, चक्कर, नीद न पाना आदि रोगो मे, जो यौन-प्रव्यवस्थायी या प्रमेह व स्वप्नदोष के परिणामस्वरूप प्रकट होते हैं, मे यह औपधि अत्यन्त हितकर है।
स्वप्न-दोष
स्वप्न-दोष के लिए यह पौषधि इतनी हितकर है कि प्राय सख्त से सस्ता स्वप्न-दोप, यहाँ तक की प्रतिदिन दो-चार वार होने वाला स्वप्न-दोप भी इसकी पहले ही दिन की दो खुराको से रुक जाता है । प्रमेह के लिए भी यह इतनी गुणकारी है कि इसके पश्चात् दी जाने वाली श्रीपधि के लिए इस कष्ट मे अधिक तथा तुरन्त सफल होने की सभावना रहती है। यह प्रौपधि हाजमा तेज करने का भी गुण रखती है।
सेवन-विधि-प्रात बिना कुछ खाए-पीये रात के बासी पानी से पाठ ग्राम फाक लें और तत्पश्चात् एक घटे तक और कुछ न खाए । इसी प्रकार पाठ ग्राम साय चार बजे के लगभग प्रात के रखे हुए पानी के साथ फाक लें, रात का भोजन इसके दो घटे पश्चात् करें।
नोट-शौच यदि अधिक पतले दस्त के रूप में होता हो तो दूसरी मात्रा सायं चार बजे लेने के वजाय रात्रि समय सोने से प्राधा घटा पहले लें, परन्तु यदि कब्ज की शिकायत अधिक रहती हो तो दूसरी मात्रा साय चार बजे ही लें और रात्रि को सोते समय ईस्पगोल की भूसी (इस्पगोल का छिलका) चार-पांच ग्राम लेकर दस-पन्द्रह ग्राम तक ताजा पानी से फाकिए, बिना किसी फप्ट के साफ़ शौच होगा। ईस्पगोल का उपयोग पहली रात्रि को थोडी मात्रा में करें यदि इससे लाभ न हो तो दूमरी रात्रि को इसकी मात्रा बढा लें, यहा तक कि प्रात साफ शौच होने लगे (चार-पांच ग्राम से लेकर पन्द्रह ग्राम तक का यही अर्थ है) ईस्पगोल मे एक गुण यह भी है कि यह हानि रहित और कन्ज-नाशक होने के अतिरिक्त पतले वीर्य को गाढा करने, स्वप्नदोष और मूत्राशय की उत्तेजना को दूर करने के लिये उपरोक्त औषधि की विशेष सहायता करता है।
दूसरा योग- मूमली सफेद और मिश्री पचास-पचास ग्राम मिला कर चूर्ण बना लें।
सेवन-विधि-चार से छ ग्राम जरूरत के मुताविक उपयोग करें, इससे वीर्य की उत्तेजना दूर हो जाती है, मूत्राशय की उत्तेजना ठीक हो जाती है और स्वप्नदोप को निश्चय ही लाभ होता है। यह औपधि बलदायक है और अधिक वीयं उत्पन्न करती है ।
सिरदर्द-
धनिया (खुश्क दाना) पाठ ग्राम, खुश्क पावले (गुठली रहित) चार ग्राम-दोनो को रात्रि समय मिट्टी के कूजे मे चौथाई किलो पानी डाल कर भिगो दें, प्रात मलकर और मिश्री मिलाकर पिलाएँ, गर्मी के कारण सिर-दर्द मे लाभदायक है।
क्मजोर दिमाग-
सवा-सौ ग्राम धनिया कूटकर आधा किलो पानी मे उबालें, जब पानी जलकर केवल सवा-सौ ग्राम रह जाए तो छान कर सवा-सौ ग्राम मिश्री मिलाकर फिर पकाएँ। जब पक कर गाढा हो जाए तो उतार ले । यह मीठी प्रौपधि प्रतिदिन पाठ ग्राम चाटनी चाहिए। गर्मी पौर दिमाग की कमजोरी के कारण अकस्मात् आखो के सामने अघेरा-सा छा जाता हो तो इसका यह अत्यन्त डी.सूरल इलाज है.
गंज -
सिर का गंज एक ऐसा रोग है जिससे व्यक्ति केशधन से बचित हो जाता है। ताजा धनिये का रस निकाल कर प्रतिदिन सिर पर लगाने से कुछ दिनो मे गज दूर हो जाता है ।
आँख-दर्द-
यदि आखें गर्मी के कारण दुखती हो (जिसकी पहचान यह है कि एक तो वे ग्रीष्म ऋतु मे दुखेंगी, दूसरे आँखो से पानी नहीं निकलेगा वल्कि खुश्क अवस्था मे ही दुखती हैं, तीसरे आँखो को गर्मी-सी अनुभव होगी या रोगी को जलती-सी अनुभव होगी) तो ताजा धनिया पन्द्रह ग्राम और कपूर एक ग्राम बारीक पीस कर मलमल के स्वच्छ कपडे मे पोटली बाध कर आँखो पर इस प्रकार फिरा दें कि पानी की बू दें आँख के अन्दर भी चली जाएँ, तुरन्त चैन पड जाएगा।
नकसीर-
नकसीर का खून बन्द करने के लिए ताजा धनिया का रस रोगी को सु घाए । इसके अतिरिक्त हरे पत्ते पीस कर माथे पर लेप करें। ___ गर्मी के कारण नाक से बहने वाला खून रुक जाता है।
खुश्क खासी-
धनिया (खुश्क दाना) कूट कर उसके चावल अलग कर लीजिए, इन चावलो को पीस कर पाटा-सा बनाए । गर्मी के कारण हुई खुश्क खासी मे दो ग्राम यह चूर्ण पाठ ग्राम मधु मे मिला कर चटाए, खासी विल्कुल दूर हो जाएगी।
बदहजमी-
जिस व्यक्ति के मेदे मे पाहार बहुत कम ठहरता हो अर्थात् जल्दी ही शौच के रूप में निकल जाता हो, उसके लिए निम्नलिखित नुस्खा तैयार कीजिए :
धनिया साठ ग्राम, काली मिर्च पच्चीस ग्राम, नमक पच्चीस ग्राम-- - बारीक पीस कर चूर्ण बनाए । मात्रा केवल तीन ग्राम भोजन के पश्चात् ।
हृदय-रोग-
हृदय धडकता हो तो धनिया साठ ग्राम कूट-छान कर मिथी साठ ग्राम मिला लें और प्रतिदिन सात ग्राम यह चूरण ठण्डे जल से सेवन करें। या. पन्द्रह ग्राम धनिया कूट कर गत्रि समय मिट्टी के कोरे कूजे मे प्राधा किलो पानी डालकर भिगो दें। प्रात छान कर बराबर मात्रा मिश्री मिला कर पी लें।
मूत्र की जलन-
यदि मूत्र जल कर पाता हो तो धनिया पाठ ग्राम पानी में घोल कर छान लें। इसमें मिश्री तथा बकरी का दूध मिला कर पेट भर कर पिला दें। दिन मे दो वार देना चाहिए। दो-तीन दिन मे मूत्र की जलन दूर हो जाएगी।।
मासिक-धर्म की अधिकता-
कई महिलाओ को मासिक धर्म बहुत अधिक मात्रा में आने लगता है जिसके कारण कमजोरी प्रत्याधिक बढ जाती है। ऐसी हालत मे पाठ ग्राम धनिया प्राधा किलो पानी मे उबालें। जब प्राधा पानी जल जाए तो उतार कर मिश्री मिला कर गुनगुना ही पिलाए । तीन-चार मात्रा से प्राराम आ जाता है।
गभिरणी की के-गर्भकाल मे स्थी को प्राय प्रात समय के हुआ करती है जिसके कारण ग्यी बहुत कष्ट पाती है। इसका सरल इलाज यह है कि चावलो के पानी मे आठ ग्राम-खुश्क धनिया कूट-छान कर और मिश्री मिलाकर पिलाए।
नीद न पाना-
नीद न आने पर तीस ग्राम भुना घनिया, तीस ग्राम भुनी खशखाश, तीस ग्राम काह, तीस ग्राम बादाम की गिरी, पन्द्रह ग्राम कद्द,
भूख न लगना–
यदि भूख बहुत कम लगती हो तो ताजा धनिया का रस निकाल कर तीस ग्राम प्रतिदिन पिलाएं । तीन दिन मे भूख चमक उठेगी।
के-
के यदि किसी प्रकार भी वद होने मे न आ रही हो तो ताजा धनिया का रस थोडे-थोडे समय पश्चात् एक-एक घुट पिलाना चाहिए, के तुरन्त बन्द हो जाती है।
दस्त-
दस्त पा रहे हो तो धनिया (दाना) बारीक पीस लें और छाछ या पानी के साथ आठ-पाठ ग्राम दिन में तीन बार सेवन करें, चाहे कितने ही दस्त पा रहे हो वन्द हो जाते हैं। यदि दस्तो मे खून पाता हो तो पन्द्रह ग्राम धनिया पानी मे ठण्डाई के रूप में घोट-छानकर और मिश्री मिला कर पिलाए, एक दिन मे भरसका लाभ होगा। की गिरी, पन्द्रह ग्राम सदलबुरादा (सफेद) और तवाणीर बारह ग्राम-सरका चूर्ण बनाए। पाठ ग्राम प्रति मात्रा दिन में तीन बार दूध या गगयस के शवंत या पानी के साथ उपयोग करें।
खूनी बवासीर-
यदि बवासीर का खून काले रंग का हो तो इसे बन्द करने का प्रयत्न न करें परन्तु जब सुर्य यून निकलता ही और उसके कारण रोगी दिनोदिन कमजोर हो तो उम समय यून वद करने का इलाज करना चाहिए, एक नुस्खा यह है पाठ ग्राम चूर्ण धनिया पानी में घोट-छान कर तथा पचास ग्राम मिश्री और सवा-सौ ग्राम बकरी का दूध मिला कर तथा बार-बार फेंट कर (ऊपर-नीचे करके) पिला दें इसमे बवासीर का नून बन्द हो जाता है । मूत्र जलन के साथ आता हो तो उसके लिए भी यही नुम्मा काम मे लाइये।
प्यास फी तेजी-
खुएक धनिया तीस ग्राम फूट कर मिट्टी के कोरे कूचे मे डालकर प्राधा किलो पानी मे रात-भर भिगो रखें। प्रात मलमल के कपडे मे छान कर और मिश्री मिला कर पिलाए-प्याम बन्द होगी, गर्मी के कारण हो या किसी दूसरे कारण से ।
सुजन-
शरीर के किसी भाग में सूजन हो गई हो और उसमे से सेंक-सा अनुभव होता तो इस पर सिक मे धनिया पीस कर लेप करने से मजन उतर जायगी।

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