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    प्रश्न--ओशो तो जो सिस्टम रिलीजन प्रचारित हो रहा है, वह तो बिलीव्ह पर आधारित है?

    Question-Osho-the-system-religion-that-is-being-propagated-is-based-on-believe


    प्रश्न--तो जो सिस्टम रिलीजन प्रचारित हो रहा है, वह तो बिलीव्ह पर आधारित है? 

    ओशो--हो रहा है। प्रचारित इसलिए तुम भी बिलीव्ह पर खड़े थे और तुमने हिंदुस्तान को बिलीव्ह सिखायी थी। ईसाइयत उसकी ही जगह बिलीव्ह सिखा रहा हो, तुम्हारे हाथ है इसमें सवाल यह है कि तुम पूरी शक्ति लगाओ। इसमें कसूर किसका है? तुमने शूद्र के साथ जो दर व्यवहार किया है, वह शूद्र भी ईसाई हुआ जा रहा है। इसमें कारण तुम्हारे दर्व्य वहार। ब्राह्मण क्यों नहीं ईसाई हो रहा है? अगर शक्ति से ही हो रहा है, तो ब्राहाण कोई ईसाई होता नहीं दिखाई पड़ता, जैन कोई ईसाई नहीं होता। होता है शूद्र और आदिवासी। इसके साथ दर व्यवहार किया गया है हजारों साल से । मैं मानता हूं, वह नासमझ है, अगर ईसाई न हो जाए। तुमको गलत दिखता है तो तुमको प्रचार करने का हक है, प्रचार करो। यानी मेरा कहना है, इसमें राज्य का इंटरफियरेंस नहीं चाहिए किसी भी तल पर। जैसे कि मैं हूं, मैं अकेला आदमी हूं। मैं जो कह रहा हूं, सारा मुल्क यह तय करे कि भई इस आदमी को बोलने नहीं देना है, उसके ऊपर दबाव डालो, इसे रोको,। आखिर अदालत में ले जाने का प्रयोजन क्या है? प्रयोजन यह है कि किसी तरह मुझ पर दबाव पड़े और मैं बोलना बंद करूं। राज्य को निपट इनकार करना चाहिए। अगर राज्य धर्म निरपेक्ष है, तो इसका मतलब यह है कि हर आदमी को बोलने का हक है जब तक कि आपको कोई नुकसान नहीं पहुंचता है, आपकी जेब नहीं काटता है, आपको छरा नहीं भोंकता है। बोलने का तो हक है। अगर गलत लगता है, तो आपको बोलकर उत्तर देने का हक है। बात खत्म होती है, इसके आगे क्या सवाल

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