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    वास्तुशास्त्र - घर में सीढियाँ इस दिशा में बनवाने से लाभ प्राप्त होता है

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    घर में सीढियाँ इस दिशा में बनवाने से लाभ प्राप्त होता है

    सीढी पूरब की ओर (आग्नेय में)पूर्व प्रहरी को छुए बिना उत्तर से दक्षिण की ओर चढकर वहाँ घूमकर दक्षिण से उत्तर की ओर चढकर पूर्व ईशान्य में बाल्कनी" पर से उच्च में प्रवेश कर सकते हैं।

    पश्चिम की ओर नैरुति में सीढियाँ बनाना चाहे तो उत्तर से दक्षिण की ओर चढकर वहाँ से कुछ घूम कर दक्षिण से उत्तर की ओर चढकर पश्चिम वायुव्य की बाल्कनी पर से उच्च में प्रवेश कर सकते हैं।

    उत्तर वायुव्य में सीढियाँ बनाना चाहे तो उत्तर प्रहरी को छुए बिना पूरब से पश्चिम की ओर चढकर वहाँ कुछ घूमकर पश्चिम से पूरब की ओर चढकर उत्तर ईशान्य की बाल्कनी पर से उच्च में प्रवेश कर सकते हैं। (संभव हो तो पूरब को भी बाल्कनी का निर्माण कर सकते हो।)


    दक्षिण की ओर नैरुति में सीढियाँ बनाना चाहे तो पूरब से पश्चिम की ओर चढकर वहाँ कुछ मुडकर पश्चिम से पूरब की ओर मुडकर दक्षिण आग्नेय में बनी बाल्कनी पर से उच्च में प्रवेश कर सकते हैं। यहाँ उत्तर में बाल्कनी का होना अनिवार्य है। यथा साध्य पूर्व में भी बाल्कनी बना लें।

    घर के अन्दर नैरुति में सीढियाँ नहीं बना सकते। यदि बनायें तो नैरुति में शून्य छा जाकर नैरुति प्रवेश समझा जायेगा। जो हमेशा गल्ती सिद्ध हुआ है। पश्चिम अथवा दक्षिणी दीवार पर भी सीढियाँ बना सकते हैं। यथा साध्य उत्तर एवं पूर्व हिस्सों में सीढियाँ नहीं बनाना है। घर के भीतर सीढियाँ दक्षिण एवं पश्चिमी दीवारों को लगाकर बनाना अच्छा नहीं है।

    घर के अन्दर राउंड सीढियाँ बनाना है तो, पूरब अथवा उत्तर की ओर बनाना अच्छा होगा। लेकिन ऊपर की ओर प्रवेश ईशान्य में ही होना चाहिए। लेकिन इन सीढियों को उत्तर अथवा पूर्वी दीवारों को लगे बिना बनाना अच्छा होगा।

    कुछ लोग पूर्वी सडक वाले घरों में आग्नेय में सीढियों के नीचे कमरा बना लेते हैं। यह अच्छा नहीं है। इससे कई अनर्थ होंगे। लेकिन दोष परिहारार्थ पूर्व ईशान्य में बाल्कनी बना ले तो अच्छा होगा। लेकिन इस बाल्कनी के लिए नीचे जमीन से ऊपर तक एक स्थंभ बनाना मुनासिब होगा।

    दक्षिण सडक वाले तथा पश्चिमी सडक वाले घरों के नैरुति में बनायी गई सीढियों के नीचे भी कमरे नहीं बना सकते। क्यों कि मूल गृह के बीच में यह कमरा बनता है। कुछ लोग उत्तर सडक वाले गृह के वायुव्य में सीढियों के नीचे कमरा बना लेते हैं। जिससे वायुव्य की वृद्धि होकर धन हानी होगी। दोष परिहारार्थ उत्तर ईशान्य में बाल्कनी (स्थंभ उठाकर) बना लेना मुनासिब होगा।

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