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    प्रश्न--वे दोनों परिणीत थे?

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    प्रश्न-वे दोनों परिणीत थे? 

    ओशो--महावीर तो परिणीत नहीं थे। बुद्ध परिणीत थे। महावीर की सारी चिंतना जीवन के ब्रह्मचर्य के विषय में थी और पिछले जन्मों के अनुभव से संबंधित थी। मेरी भी इधर निरंतर चेष्टा पीछे के जन्मों में उतरने की रही है। और निश्चित ही किसी के भी उतरने की संभावना है। थोड़े से प्रयोग करने की बात है कि कोई भी व्यक्ति पिछले जन्मों में उतर जाए। इस जन्म में मेरा सेक्स का कोई अनुभव नहीं है। कोई जरूरत भी ही है। उस तरफ ही सारी मेहनत करने में लगा हुआ है। मेरी सारी भीतरी चेष्टा उसी तरफ है। प्रश्न--अस्पष्ट है। ओशो--हां, बिलकुल ही। अब यह तो लंबी बात करनी पड़ेगी और यह बात ऐसी होगी कि आपके लिए सिर्फ विश्वास का कारण बनेगी, इसलिए बेमानी होगी, मैं कितना भी कहूं। वह तो जैसे ही आप अपने भीतर जाएंगे, आप अपनी उस स्मृति को आज की स्मृति की मेमोरी में उतरेंगे, तो आपके भीतर की परतें जगनी शुरू हो जाएंगी अनिवार्य। जो भी आदमी भीतर जाएगा, जितना भीतर प्रवेश करेगा, जितना अनकांशस में उतरेगा, उतनी स्मृति उठनी शुरू हो जाएगी, लेकिन पहले बिलकुल के मानी होगी। क्योंकि पहले समझना मुश्किल होगा कि ये क्या हैं? 

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