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    भूल जाएँ मेरा नाम, भूल जाएँ मेरा पता, अपनी याद करें - ओशो


    भूल जाएँ मेरा नाम, भूल जाएँ मेरा पता, अपनी याद करें - ओशो 

          मेरी एक ही प्रार्थना है उन लोगों से जो मुझे प्रेम करते हैं,कि उनके प्रेम का एक ही सबूत होगा, कि वे मुझे क्षमा कर दें और मुझे सदा के लिए भूल जाएँ।
    भूल जाएँ मेरा नाम, भूल जाएँ मेरा पता, अपनी याद करें।
          हाँ, अगर कोई सत्य मुझसे प्रकट हुआ हो, तो सत्य को पी लें -- जी भर कर पी लें। लेकिन वह सत्य मेरा नहीं है। सत्य किसी का भी नहीं है। सत्य तो बस अपना है।उस पर कोई लेबल नहीं है, कोई विशेषण नहीं है। मै अपने पीछे कोई धर्म नहीं छोड़ जाना चाहता हूँ।
          मैं तो घुल जाना चाहता हूँ, मिल जाना चाहता हूँ, मिट जाना चाहता हूँ। यूँ कि मेरे पैरों के निशान भी जमीन पर न रह जाएँ कि कोई उनका अनुसरण करे।
    जैसे पक्षी आकाश में उड़ते हैं, लेकिन उनके पैरों के कोई चिह्न आकाश में नहीं छूटते। मैं भी कोई चिह्न अपने पीछे नहीं छोड़ जाना चाहता हूँ।
          मैं चाहता हूँ कि मनुष्यता सत्य को, प्रेम को, करुणा को, ध्यान को, अस्तित्व को -- इनको प्रेम करे।
    मैं तो कल नहीं था, कल नहीं हो जाऊँगा। इस अस्थिपिंजर को मूर्ति मत बना लेना।

    -ओशो

    फिर अमृत की बूँद पड़ी..!!

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