ज्यादा भरोसेमंद
ज्यादा भरोसेमंद
संत सिंह को मनोविज्ञान पढ़ने की सूझी। वह उसी में डूब गए। एक दिन उनका एक मित्र मिला। संता सिंह ने उससे कहा, 'मैंने सुना था कि तुम्हारा देहांत हो गया है।
मित्र ने कहा, 'लेकिन मैं तो तुम्हारे सामने जीवित खड़ा हूं।
'असंभव। जिसने मुझे यह बताया था, वह तुम्हारी तुलना में ज्यादा भरोसेमंद था। संता सिंह ने मनोविज्ञान बघारा ।

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