हनीमून और जान की आफत
हनीमून और जान की आफत
कैसी रही तुम्हारी हनीमून ? एक मालती ने अपनी सहेली शीला से पूछा।
शीला ने परेशान स्वर में कहा- मेरी तो जान पर बन आई है।
मालती- अरे, कैसे क्या हुआ?
शीला- ऊपर-नीचे, ऊपर-नीचे....? और फिर थकान से चूर ! गहरी सांसे !
मालती- तो फिर इसमें बुरा क्या है? तू क्या भजन करना चाहती थी ?
शीला- अरे यार ! तू गलत समझ रही है । मैं कश्मीर की घाटियों में चढाई-उतार के साथ स्केटिंग करने की पति की जिद भी पूरी करने की बात कर रही हूं।
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