आजन्म कुंआरा !
आजन्म कुंआरा !
एक आजन्म कुंआरे पुरुष ने अपनी संतुष्टिपूर्ण एवं खुशहाल आबाद जिन्दगी से किनारा करने के पूर्व अपनी वसीयत लिखी। उसने बेहद सोच-समझकर अपनी लाखों की जायदाद का अधिकांश हिस्सा उस लड़की के नाम कर दिया जिसने कि उसके साथ तीस वर्ष पूर्व शादी करने से इनकार कर दिया था एवं जिसके बाद ही उसने आजन्म कुंआरा रहने की कसम खाई थी।
वसीयतनामा के नीचे उसने यह लिखा मैं आपके प्रति कृतज्ञ हूं। आपके ना करने के कारण मुझे ज्ञात हुआ कि जिन्दगी पत्नी की बंदगी के बिना कितनी रंगीली है।

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