मानव योनी !
मानव योनी !
स्वामीजी पांडाल में प्रवचन दे रहे थे। स्त्री-पुरुष तन्मयता से सुन रहे थे | स्वामीजी ने कहा- भक्तों! मानव का जन्म हर प्राणी से श्रेष्ठ है । मावन योनि को सर्वोत्तम मान गया है । मानव योनी पाकर भी जिसने उसका मूल्य न समझा उसका इस पृथ्वी पर आना धिक्कार है। स्वामीजी की पंक्तियां खत्म होते न होते, पुरुषों का भक्त समुदाय उठकर नारी भक्त समुदाय उठकर नारी समुदाय की दिशा में बढ़ चला था।

No comments