सभ्य, श्रीमान अनुपस्थित!
सभ्य, श्रीमान अनुपस्थित!
मिस छुईमुई के तार कोई लफंगा जरा जमकर छेड गया था। उन्होंने झनझनाते हुए थाने में जाकर शिकायत की। कर्त्तव्यपरायण पुलिस ने दस-बारह गुंडों को संदेह में गिरफ्तार कर मिस छुईमुई को बुला भेजा।
लाइन से गुंडे खड़े थे और मिस छुईमुई को उस रोज वाला शख्स पहचानना था। वे एक-एक के पास से गुजरती गईं- ॐहँ ! यह नहीं था। ना, यह भी नहीं था। नहीं, यह चूहा तो हो ही नहीं सकता। आखिर सातवें नम्बर पर खड़े एक गठीले - गबरू नौजवान के पास मिस छुईमुई रुक गईं और आँखों में खुमार और देह में मस्ती भरकर इंस्पेक्टर से बोलीं यह था तो नहीं ! मगर यह हो सकता था....!

No comments