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    आरती श्री बगलामुखी जी की

    Aarti-of-Shri-Baglamukhi-ji


     आरती श्री बगलामुखी जी की


    जय जय श्री बगलामुखी माता, आरति करहुँ तुम्हारी ॥ टेक ॥ 

    पीत वसन तन पर तव सोहै, कुण्डल की छबि न्यारी ॥ जय - जय" 

    कर-कमलों में मुद्गर धारै, अस्तुति करहिं सकल नर-नारी ॥ जय-जय" 

    चम्पक माल गले लहरावे, सुर नर मुनि जय जयति उचारी ॥ जय-जय " 

    त्रिविध ताप मिटि जात सकल सब, भक्ति सदा तव है सुखकारी ॥ जय-जय 

    पालत हरत सृजत तुम जग को, सब जीवन की हो रखवारी ॥ जय-जय" 

    मोह निशा में भ्रमत सकल जन, करहु हृदय महँ, तुम उजियारी ॥ जय-जय 

    तिमिर नशावहु ज्ञान बढ़ावहु, अम्बे तुमही हो असुरारी ॥ जय-जय " 

    सन्तन को सुख देत सदा ही, सब जन की तुम प्राण पियारी ।। जय-जय " 

    तव चरणन जो ध्यान लगावै, ताको हो सब भव- भयहारी ॥ जय-जय" 

    प्रेम सहित जो करहिं आरती, ते नर मोक्षधाम अधिकारी ॥ जय-जय"

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