• Latest Posts

    सुहागा के चमत्कार

     

    suhaga


    सुहागा के चमत्कार 

    नौसादर, सुहागा इत्यादि नामो मे हमारी महिलाए तक परिचित है। "दादी" और "नानी" के "घरेल दवाखाने" मे जितने भी नुस्खे नन्हे या नन्ही के लिए निर्दिष्ट किए जाते हैं प्राय उन सभी मे मधु, सुहागा और नौसादर अवश्य शामिल होते हैं । परन्तु सुहागा के साथ इतना घनिष्ट सम्बन्ध होने के बावजूद भी यह हैरानी की बात है कि ऐसी गुणकारी और लाभदायक वस्तु से हमारा काफी परिचय नही है, और दादी, नानी के चुटकुलो के अतिरिक्त कही इसका उपयोग नही किया जाता ।

    सुहागा को अग्रेजी मे वोरेक्स कहते हैं और यह अग्रेजी औषधि-विक्रेतामो से वढिया और बहत स्वच्छ प्राप्य है।

    मुह का आना -लगभग पांच ग्राम सुहागा और चार रत्ती कपूर पन्द्रह . ग्राम मधु या ग्लीसरीन मे मिश्रित कर किमी शीशी मे रख लें और श्रावश्यकता समय मुह के भीतर घाव पर लगाएँ, शीघ्र लाभ होता है। मिश्रित करने के लिए यदि ग्लीसरीन या मधु को तनिक गरम कर लिया जाए तो सुहागा मुगमता से मिथित हो जाता है। जबान, होठ और मुह के लिए, जिसे मुह का आ जाना कहते है, इससे श्रेष्ठ लगाने की दवा नही हो सकती।

    नजला-जुकाम - की चमत्कारी औषधि-नुस्खा क्या है, एक चमत्कार है। आवश्यकतानुसार सूहागा लेकर खील करें और बारीक पीसकर शीशी मे रखें। दो रत्ती से चार रत्ती तक चाय या गरम पानी के साथ दिन में तीन वार उपयोग करें। पहले ही दिन, वरन दूसरे-तीसरे दिन रोग का नामनिशान नही रहेगा।

    आवाज वैठना-यदि अधिक गाने या ऊंची आवाज मे बातचीत करने से गला (आवाज) बैठ जाए तो निम्न नुस्खा प्रयोग कीजिए, तुरन्त आराम होगा । कच्चा सुहागा पन्द्रह ग्राम बारीक पीसकर शीशी मे रखें। आवश्यकतानुसार चार रत्ती यह औपधि मुह मे रखें और रस चूसते रहे।

    तिल्ली- राई वीस ग्राम, खील सुहागा आठ ग्राम । दोनो वारीक पीन कर चूर्ण बनाए । दैनिक एक ग्राम प्रात व एक ग्राम साय मूली के पत्तो के रम में उपयोग करें, बढी हुई तिल्ली गलाने के लिए अत्यन्त लाभदायक है।

    दाद- सुहागा, राल तथा गवक प्रत्येक सत्तर ग्राम, कपूर पन्द्रह ग्राम । मव वारीक पीसकर तथा मिश्रित कर रख लें आवश्यकतानुसार नीबू के रस में घोलकर लगाए, तनिक चुभेगी परन्तु शीघ्र लाभ होगा।

    पत्थरी- सुहागा, जोखार, कलमी शोरा, फिटकरी, नौसादर प्रत्येक पन्द्रह ग्राम पीसकर चार-चार चम्मच HARI साथ दें। तीन दिन मे ककर गलकर निकल जाता है। बीस वर्ष से आजमाया जा रहा है और सफल सिद्ध हुअा है ।यदि हर मास चार-पांच दिन उपयोग होता रहे तो पत्थरी भी हो तो घुलकर निकल जाती है।

    पायोरिया टुथ पाउडर- खील सुहागा पचास ग्राम, समुद्र झाग पचास ग्राम, चाक अढाई सौ ग्राम, सत् पोदीना अठारह रत्ती, सत् अजवाइन अठारह रत्ती, चूर्ण त्रिफला मत्तर ग्राम और नमक सत्तर ग्राम । सब बारीक __पीसकर मिश्रित करे। पायोरिया के लिए अत्यन्त गणकारी टथ पाउडर तैयार है।

    पित्त पाउडर- सहागा फला हुआ पाठ ग्राम, कपूर एक रत्ती, बोरेक्स पाउडर (जिस्त फूला हुआ) आठ ग्राम, निशास्ता पाठ ग्राम खरल कर कपडछन करें, स्नानोपरान्त पित्त पर मलें।

    No comments