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    श्री सूर्य स्तुति

    Shri Surya Stuti


    श्री सूर्य स्तुति 

    प्रथमहि रवि कहँ नावों माथा, करहु कृपा जनि जानि अनाथा। 
    हे आदित्य दिवाकर भानू, मैं मति मन्द महा अज्ञानू। 
    अब निज जन कहँ हरहु कलेषा, दिनकर द्वादश रूप दिनेशा। 
    नमो भास्कर सूर्य प्रभाकर, अर्क मित्र अघ मोघ क्षमाकर।

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