कर्तव्यनिष्ठा का पुरस्कार
कर्तव्यनिष्ठा का पुरस्कार
बादशाह अब्बास अपने एक पदाधिकारी के यहाँ दावत में गए। वहाँ उन्होंने और सब साथियों ने इतनी मदिरा पी ली कि किसी के होश हवाश दुरस्त नहीं रहे। नशे की झोंक में बादशाह खडा हो गया और उसी पदाधिकारी के अंत:पुर की ओर जाने लगा। पर दरवाजे पर उस पदाधिकारी का नौकर इस प्रकार खड़ा था कि उसे हटाए बिना बादशाह भीतर नहीं घुस सकते थे। उन्होंने नौकर से कहा-"अभी यहाँ से हट जा वरना मैं तलवार से तेरा सिर उड़ा दूंगा।"
नौकर ने सिर झुकाकर कहा-"हजूर मेरे देश के स्वामी हैं, इसलिए मैं आप पर हाथ तो उठा नहीं सकता। पर यह निश्चय है कि आप मेरी लाश पर पैर रखकर ही भीतर जा सकेंगे। पर याद रखिए कि भीतर जाने पर बेगमें तलवार लेकर आपका मुकाबला करेंगी, क्योंकि जब उनकी इज्जत पर हमला किया जाएगा तो वे अपना बचाव जरूर करेंगी।"
बादशाह का नशा सेवक की खरी बातों को सुनकर ठंढा पड गया और वे वापस चले गए। दूसरे दिन उस पदाधिकारी ने बादशाह से कहा-"मेरे जिस नौकर ने कल आपके सामने बेअदबी की थी, उसे ___ मैंने दंडस्वरूप अपने यहाँ से निकाल दिया है।"
बादशाह ने कहा-"यह तो बहुत अच्छा हुआ, मैं उसे आपसे ___ माँगकर अपने अंगरक्षकों का सरदार बनाना चाहता था। बस अब आप उसे बुलाकर मेरे पास भेज दीजिए।" सच्चे व्यक्ति की कदर सभी जगह होती है।
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