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    क्या पुराने लोग वास्तव में अच्छे थे? - ओशो

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    क्या पुराने लोग वास्तव में अच्छे थे? - ओशो 

    बुद्ध के समय में कौन सा आदमी जमीन पर था? कौन सा आदमी सड़कों पर चल रहा था? कौन सा गांवों में रह रहा था? आपको पता है कि राम के वक्त में कौन लोग थे? आपको पता है कृष्ण के वक्त में कौन लोग थे? सामान्य आदमी की कोई कथा बाकी नहीं रह जाती जो कि असली आदमी है।

    थोड़े से अपवाद, थोड़े से एकसेप्शन्स याद रह जाते हैं। और उनकी याददाश्त पर हम निर्णय करते हैं कि पहले के लोग अच्छे रहे होंगे। बुद्ध अच्छे थे महावीर अच्छे थे। तो गांधी अच्छे थे तो हम अच्छे हैं? बल्कि सच्चाई यह है कि अगर सारे लोग अच्छे हों जाएं तो गांधी को याद रखने की कोई जरूरत नहीं रह जाएगी। अगर महावीर के समय के सारे लोग अच्छे होते तो महावीर का नाम हम कभी का भूल गए होते। वह उस पूरे अंधेरे में एक आदमी चमकता हुआ था इसलिए दिखाई पड़ रहा है आज तक।

    अगर सारे लोग चमकते हुए होते वे महावीर कभी के भूल जाते, वे कृष्ण भी कभी के भूल जाते। ये दस पंद्रह लोगों के नाम हमें याद है केवल इसलिए कि इस पूरी अंधेरी रात में ये दस-पांच चमकते हुए सितारे लेकिन आदमी की जिंदगी आज तक जमीन पर अंधेरे से भरी रही है। पंद्रह हजार युद्ध लड़े गए हैं पांच हजार वर्षों में। पंद्रह हजार युद्ध किन लोगों ने लड़े? अगर वे अच्छे लोग थे कौन लड़ रहा था? हिंदुस्तान की जमीन पर बुद्ध के समय में दो हजार राज्य थे। और हर रोज इस जमीन पर लड़ाई हो रही थी। कौन लड़ रहा था वह लड़ाई? और लड़ाई प्रेम से लड़ी जाती है? ईमानदारी से? लड़ाइयां कैसे लड़ी जाती हैं? महाभारत हुआ हमारे इस मुल्क में, जिनको हम बहुत अच्छे लोग कहते थे वे भी अपनी औरत को जुए पर दांव में लगा सकते थे। कैसे अच्छे लोग रहे होंगे? और अच्छे लोग थे तो जमीन के लिए लड़े। सारे मुल्क को शायद दो चार हजार साल के लिए रीढ़ तोड़ दी। जुआ खेलते थे, औरत को दांव पर लगा सकते थे। अच्छे लोग थे?

    बात असल यह है कि अतीत तो हमें भूल जाता है और वर्तमान हमें दिखाई पड़ता है। आप कहते हैं, पीछे के लोग अच्छे थे और आज के लोग अंधेरे में हैं आज तक जमीन पर जितनी किताबें लिखी गई हैं पुरानी से पुरानी किताब भी यही कहती है कि पहले के लोग अच्छे थे। वे पहले के लोग कब थे? आपने कोई एसी किताब पढ़ी है जो यह कहती हो आज के लोग अच्छे हैं।

     - ओशो 

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