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    ज्योतिष से जानिए पराक्रमी ग्रह मंगल के स्वभाव के बारे में

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    ज्योतिष से जानिए पराक्रमी ग्रह मंगल के स्वभाव के बारे में 

    मंगल को पृथ्वी का पुत्र अर्थात् पृथ्वी नंदन कहा गया है। यह बलिदान का स्वरूप, त्याग का अवतार तथा रोग-पीड़ा का विनाशक है। इसकी शक्ति अद्वितीय है। मंगल का अशुभ प्रभाव मनुष्य के वैवाहिक जीवन में विशेष बाधक होता है। मांगलिक दोष होने पर जातक का दाम्पत्य जीवन सुखमय नहीं रहता।

    मंगल ग्रह मकर राशि पर उच्च का तथा कर्क राशि पर नीच का होता है। मंगल ग्रह रात्रिबली तथा दक्षिण दिशा का स्वामी है। इसका विशेष अधिकार सिर पर रहता है। मेष और वृश्चिक राशि का यह स्वामी है। यह पुल्लिगी
    और तामस ग्रह है। यह बृहस्पति के साथ सात्त्विक और सूर्य के साथ राजस व्यवहार रखता है।

    बुध इसका पूरी तरह से शत्रु है। यह अपने घर से चौथे, सातवें और आठवें घर को पूरी दृष्टि से देखता है। विंशोत्तरी दशा के अनुसार मंगल की महादशा सात वर्ष की होती है। यह लाल रंग का प्रतिनिधि है। मनुष्य शरीर में पेट से पीठ तक का भाग, सिर, नाक, कान, फेफड़े, मस्तिष्क तथा रक्तकोष पर इसका नियंत्रण रहता है। मंगल ग्रह को पाप ग्रह माना जाता है। यह पूर्व दिशा में उदित तथा पश्चिम दिशा में अस्त होता है। 

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