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    जिस दिन तुम अपनी सब इच्छाएं छोड़ दोगे, अचानक तुम पाओगे, तुम्हारे पास विराट ऊर्जा है - ओशो

    जिस दिन तुम अपनी सब इच्छाएं छोड़ दोगे, अचानक तुम पाओगे, तुम्हारे पास विराट ऊर्जा है - ओशो

                    मैंने सुना है, एक अमीर आदमी के पास एक गरीब आदमी मिलने गया। वह अमीर आदमी ने अपने पास एक सोने का पीकदान रखा हुआ था। लाखों रुपए का होगा; उस पर हीरे जड़े थे। और वह उसमें बार—बार पान की पीक यूक रहा था।
                      वह गरीब को बड़ा दुख हुआ, उसे बड़ा क्रोध भी आया। जिंदगीभर परेशान हो गया वह लक्ष्मी की तलाश करते—करते। आखिर उससे न रहा गया, उसने एक लात मारी पीकदान में और कहा, ससुरी! यहां थुकवाने को बैठी है। हम जिंदगीभर पीछे पड़े रहे, प्रार्थना की, पूजा की, सपने में भी दर्शन न दिए।
                      वह अमीर आदमी हंसने लग गया। उसने कहा, ऐसी ही दशा पहले हमारी भी थी। जब तक हम भी पीछे लगे फिरे, कुछ भी हाथ न आया। जब से हम मुड़ गए और जब से हम पीछे फिरना छोड़ दिए, चीजें अपने आप चली आती हैं।
                       तुम्हारी सब इच्छाएं जब तुम छोड़ दोगे, अचानक तुम पाओगे, तुम्हारे पास विराट ऊर्जा है। तब तुम इच्छा न करना चाहोगे और इच्छाशक्‍ति होगी।
                      जब तुम विचार न करना चाहोगे, तब विचारशक्ति होगी।
                      जब तुम जीना न चाहोगे, तब तुम्हारे पास अमर जीवन होगा।
                      जब तुम मिटने को राजी होओगे, तुम्हें मिटाने वाली कोई शक्ति नहीं।
                      जब तुम सबसे पीछे खड़े हो जाओगे, तुम सबसे आगे हो जाओगे।
                      जीसस ने कहा है, जो यहां सबसे पीछे हैं, वे मेरे प्रभु के राज्य में प्रथम हो जाते है। और लाओत्सु ने कहा है, मुझे कोई हरा न सकेगा, क्योंकि मुझे जीत की कोई आकांक्षा नहीं है।
                      ऐसी विजय अंतिम हो जाती है, परम हो जाती है। जीवन का यह सूत्र बड़ा बहुमूल्य है। जिसने इसे जाना, उसने बहुत कुछ जाना। और जो इसे चूकता रहा, वह जीवन के आसपास चक्कर मारता रहेगा भिखमंगे की तरह, वह कभी इस महल में प्रवेश न पा सकेगा।
    एस धम्‍मो सनंतनो, भाग -4

    -ओशो

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