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    गीता को लोग समझ नहीं पाए - ओशो

     गीता को लोग समझ नहीं पाए - ओशो

          गीता को लोग समझ नहीं पाए। गीता को लोगों ने समझा कि यह युद्ध में जाने का संदेश है, गलत। गीता को लोगों ने समझा, यह संसार में अड़े रहने का संदेश है; गलत। एक तरफ यह गीता को मानने वालों की भूल है। दूसरी तरफ जैनों ने समझा कि यह गीता संन्यास के विरोध में है, गलत। कि गीता त्याग से बचाती है, यह भी गलत।

          गीता कुल इतना कहती है कि परम की जो आकांक्षा है, तुम उसके साथ बहो, विपरीत मत बहो। फिर वह जो भी हो आकांक्षा। कभी संन्यास की होगी, महावीर के लिए संन्यास की थी; अर्जुन के लिए संन्यास की नहीं थी। जो परम की आकांक्षा हो। नदी की धार के विपरीत मत बहो। नदी की धार के साथ हो रहो। फिर नदी पूरब जा रही हो, तो पूरब; और नदी पश्चिम जा रही हो, तो पश्चिम।
    गीता दर्शन,

    -ओशो

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