कवियों की लड़ाई
कवियों की लड़ाई
एक दो कवि बीच बाजार में लड़ पड़े ।
वहां पर डयूटी कर रहे हवलदार उन्हें देखा तो अपना बेंत जमीन में मारते हुए क आवाज में बोला-ये क्या हो रहा है? क्यों झगड रहे हो तुम दोनों?
इस पर पहला कवि बोला- हवलदारजी, इसने मुझे सरेआम झिंझोडा |
दूसरा कवि- नहीं, इसने मुझे नीबू की तरह निचोडा ।
पहला कवि - इसने मेरा मुंह तोडा |
दूसरा कवि- इसने मेरा सिर फोडा ।
उनकी बातें सुनकर झुंझलाकर हवलदार बोला- हे भगवान! जाओ मैंने तुम दोनों को छोडा ।
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