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    श्री कुंज बिहारी जी की आरती

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     श्री कुंज बिहारी जी की आरती


    आरती कुंज बिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की । 

    गले मे वैजन्ती माला, बजावै मुरली मधुर बाला ।

    श्रवण मे कुण्डल झलकता, नन्द के आनन्द नन्दलाला, गिरिधर कृष्ण मुरारी श्री की ।। 

    गगन सम अंग कान्ति काली, श्रीराधा चमक रही आली । 

    भ्रमर सम अलक, कस्तुरी तिलक, चन्द्र सी झलक ।।

    अमित छवि श्यामा प्यारी की, श्रीगिरधर कृष्णमुरारी की । 

    कनकमय मोर मुकुट बिलसै, देवता दर्शन को तरसै ।।

    गगन सूं सुमन बजे बहुत मुखहचंग, और मृदंग, लाज रख गोपकुमारी की,

    बरसे ग्वालिनि संग, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की । 

    जहाँ सूं निकली भव गंगा, या कलि मल हरनी श्री गंगा । 

    सोई युग चरन, कमल के वरन, लही हम शरन । 

    राधिका गौर श्याम पद की, कि छवि निरखूं बनवारी की ।

    आरती कुंज बिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की

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