Monday, June 2.
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    आरती श्री गुरु गोरख नाथ जी की

    Aarti of Shri Gorakh Nath Ji


     आरती श्री गुरु गोरख नाथ जी की 

    जय गोरख देवा जय गोरख देवा।
    कर कृपा मम ऊपर नित्य करूं सेवा॥ शीश जटा अति सुन्दर भाल चन्द्र सोहे।
    कानन कुण्डल झलकत निरखत मन मोहे॥ गल सेली विच नाग सुशोभित तन भस्मी धारी।
    आदि पुरुष योगीश्वर सन्तन हितकारी॥
    नाथ निरंजन आप ही घट-घट के वासी।
    करत कृपा निज जन पर मेटत यम फांसी॥ ऋद्धि सिद्धि चरणों में लोटत माया है दासी।
    आप अलख अवधूता उत्तराखण्ड वासी॥ अगम अगोचर अकथ अरूपी सबसे हो न्यारे।
    वाहवा योगीजन के आप ही सदा हो रखवारे॥ ब्रह्मा विष्णु तुम्हारा निशदिन गुण गावें।
    नारद शारद सुर मिल चरनन चित लावें॥ चारों युग में आप विराजत योगी तन धारी।
    सतयुग द्वापर त्रेता कलयुग भय टारी॥ गुरु गोरख नाथ की आरती निशदिन जो गावे।
    विनवत बाल त्रिलोकी मुक्ति फल पावे॥

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