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    पौरुष बढाने में शहद का रामबाण उपयोग

    panacea use of honey to increase virility


    पौरुष बढाने में शहद का रामबाण उपयोग  

    मधु वास्तव मे फूलो की मनमोहक सुगन्ध और रक्त वढाने वाली दुर्लभ तथा कीमती सामग्री का शरबत है । यह अमृत है क्योकि इसका उपयोग विगडे और गम्भीर से गम्भीर रोगो की विश्वासनीय चिकित्सा है। सभी स्थितियो और स्वभावो मे सामान रूप से उपयोगी है । बच्चो, स्त्रियो, युवको और बूढो को प्रत्येक अवस्था मे उपयोग कराया जा सकता है।

    मधु की मात्रा वच्चों के लिए पाच ग्राम, किशोरों के लिए दस ग्राम, युवको के लिए पन्द्रह ग्राम तथा स्त्रियो और खूढो के लिए वीस ग्राम उचित है। श्रावश्यकता पड़ने पर गर्म, ऊष्ण या ठण्डे जल मे पिलाए या चटाएं । उचित यह है कि धीरे-धीरे चाय की तरह घुट-घुट पिया जाए। इसके अतिरिक्त मधु सर्वदा खाली मेदे पर पीना चाहिए। अधिक गर्म पानी मिलाकर हरगिज उपयोग न किया जाए वरन इससे हानि का भय है। अच्छा यह है है कि शरद ऋतु में पानी को थोडा गर्म कर लिया जाए और ग्रीष्म ऋतु मे ठण्डा पानी लिया जाए (शरद ऋतु मे शुद्ध मधु प्राय दानेदार वन जाता है। दानेदार मधु को फिर पतला करने के लिए मधु की बोतल या वर्तन गर्मपानी मै रखना चाहिए।) इस बात का ध्यान रखना चाहिये कि मधु कभी प्राच पर गर्म न किया जाए, आंच पर चढाने या पकाने में मधु विप वनजाना है।

    औषधि के रूप मे मधु के निम्नलिखित प्रयोग किये जा सकते हैं

    प्राधे सिर फा दर्द--यह दर्द सिर की एक तरफ-प्राधे भाग में होता है । प्रायः सूर्योदय समय शुरू होता है, दिन ढलने के पश्चात् इनमें कमी होने लगती है। यह दर्द इतना तीन होता है कि रोगी कष्ट के मारे मिर पटकता है, रगें ज़ोर-जोर से फउकती हैं, रोगी को ऐमा अनुभय होता है कि उसका सिर हथोडे मे कूटा जा रहा है, दर्द की टीम कान पोर दोनों तक जाती है। इसका उचित उपचार करने के लिए निम्नलिपित नुम्मा उपयोग कीजिए। अाघे सिर के दर्द के समय दूमरी और के नथने में एक बूद मधु डाल दें, डालते ही दर्द को पाराम हो जाएगा-चमत्कारपूर्ण चिकित्मा है ।

    नजला-जुकाम-दो छोटे चम्मच-भर मधु प्राधे नीबू के रस के साथ दिन में तीन-चार वार उपयोग करना चाहिए। गर्म पानी के गिलास में एक बढा चम्मच मधु और एक चम्मच अदरक का रस अच्छी तरह मिलायर दिन मे तीन-चार वार पी लिया करें।

    दूसरा योग-मधु तीस ग्राम और अदरक का रस दो छोटे चम्मच-भरमिलाकर सर्दी से उत्पन्न नजला व जुकाम के लिए अचम्भे से कम नहीं है ।

     थकान-सर्व प्रकार की थकान, चाहे मानसिक हो या शारीरिक, दूर करने के लिए मघु एक उत्तम चिकित्मा है। आप जब भी शारीरिक या मानसिक थकान अनुभव करें, दो बड़े चम्मच शुद्ध मधु एक गिलास गर्म पानी में अच्छी तरह मिलाकर पी लें, थकान दूर हो जाएगी।

    मधु के घाव-सुहागा ग्वील एक भाग को बारीक करके चार भाग मधु में मिला दें, यह मरहम मुह के घावो पर मलें और इसके कारण टपकने वाली थूका को बाहर गिराते रहे। इससे मुह के घाव साफ होते हैं और बहुत जल्दी भर जाते हैं।

    दूसरा योग . मधु शुद्ध सौ ग्राम, ग्लिसरीन पाठ ग्राम, सुहागा तीन ग्राम-सुहागा को बारीक पीसकर मधु और ग्लिसरीन मे मिला कर रखें।

    आवश्यकता के समय लगाने से जवान के फटने और मुह के छालो आदि के लिए गुणकारी है।

    तीसरा योग : फिटकरी खील एक भाग, शुद्ध मधु दो भाग, सिर्का एक भाग । सिर्का और मघ मे फिटकरी मिलाकर पकाएं। जब दवाई की चाशनी गाढी हो जाए, आच पर से उतार लें । प्रतिदिन प्रात. व साय दांतो पर मला करें, दातो का हिलना बन्द हो जाएगा।

    दंत-रोग-गुद्ध मधु तीस ग्राम, मिर्का बढिया तीस ग्राम, फिटकरी खील पन्द्रह ग्राम, काली मिर्च चार ग्राम । दोनो औषधिया बारीक पीसकर मधु प्रो. सिर्का में मिलाकर सुरक्षित रख लें। आवश्यकतानुकूल दोनो समय उगली द्वारा दांतो पर मजन की तरह मलें । दांतो का हिलना, कीडा लगना, दाट का दर्द, पायोरिया तथा मैले दांतो प्रादि के सर्व विकागे में हितकर है।

    नेत्र-रोग-शुद्ध हीग वारीक पीस कर मधु मे मिला लें। और सलाई द्वारा प्रात व माय प्रांखो मे लगाते रहें। इसका इस्तेमाल प्रारम्भिक मोतियाविद मे गुणकारी है, रात को दिखाई न देने में भी लाभदायक है।

    दूमरा योग-प्याज का रस और मधु एक-एक ग्राम में भीमसेनी कपूर चार रत्ती मिलाकर शीशी में सुरक्षित रखें, और सलाई द्वारा आंखो मे लगाएं यह न केवल प्रारम्भिक मोतिया मे लाभदायक है बल्कि उतरा हुआ पानी भी साफ हो जाता है।

    तीसरा योग-सोते समय गुद मधु की तीन-तीन सलाइयां डाला करें, कुछ ही दिनो मे रात्रि समय कम दिखाई देने का कष्ट जाता रहेगा।

    कान के रोग-कानो के भीतर भिनभिनाहट की अावाज सुनाई देती हो, कानो मे बाजे-से बजते अनुभव हो तो इसके लिए निम्नलिखित नुस्खा प्रयोग कीजिए___कलमी शोरा आधा ग्राम वारीक पीस कर पाठ ग्राम मधु मे मिला। मौर थोडे से गर्म पानी मे घोल कर कान में टपकाएँ, कान वजने की शिकायत दूर हो जाएगी।

    दूसरा योग-शुद्ध मधु, ग्लिसरीन, बादाम रोगन, प्रत्येक पन्द्रह ग्राम भौर एक ग्राम अर्क शफा लेकर मिला लें। तनिक गुनगुना करके कान मे डालें, इससे कान की पीप साफ होती है। धीरे-धीरे पीप निकलनी बद हो जाती है और कान विल्कुल साफ हो जाता है।

    अर्क शफा जो इन नुस्खे मे शामिल है बनाने की विधि इस प्रकार है: कपूर, मत पोदीना, सत अजवाइन, कारवालिक एसिड, मसल प्रत्येक वरावर वजन । सब को मिला कर शीशी मे डालकर रख दें, तेल हो जाएगा।

    गले के रोग-काली मिर्च, हीग, राई, केसर सब वरावर वजन बारीक पीयें और बरावर वजन मधु मिलाकर मुह मे रखें, और इसका रस चूसें । यदि अावाज बैठ गई हो तो खुल जाएगी।

    दूसरा योग-दिन में तीन बार एक बडा चम्मच मधु चाट लिया करें, गले की सूचन दूर करने के लिए अद्वितीय है।

    तीसरा योग-तीस ग्राम मधु कप-भर पानी में घोल कर गरारे करें, गले की मूजन, घाव और आवाज बैठने मे लाभदायक है।

    चौथा योग-गरम-गरम दूध मे थोडा मधु और थोडी-सी ग्लिसरीन मिला कर गरम-गरम चाय की तरह पिए, गले की मूजन के लिए गुणकारी है।

    छाती और फेफडों के रोग-मघ फेफडो को बल प्रदान करता है, खांसी और गले की सर्वोत्तम चिकित्मा है। गले की खुश्की तथा स्नायु-कष्ट दूर करता है

    छोटे बच्चो की छाती में जब घ र र "घ र र की आवाज आती है और वे बलगम खारिज नहीं कर सकते तो उन्हे यदि यह नुस्खा उपयोग कराया जाए तो इससे तुरन्त लाभ होता है।

    काकडा-सगी (लाल रग की) पन्द्रह ग्राम, सत मुलेठी चार ग्राम, मुनक्का (जिसमे से बीज निकाल दिये गये हो) ग्यारह दाने । सब चीजो को पीस कर मधु मे मिलाकर चटनी बनाएं।

    उपयोग विधि-बच्चे को प्राधा ग्राम से एक-दो ग्राम तक दें। नवजात शिशु की हालत में उसकी मां को भी पाठ ग्राम तक चटाए।

    पुरुषों के रोग- भैंस के दूध में दो बड़े चम्मच मधु अच्छी तरह घोल कर पीते रहना साधारण शारीरिक कमजोरी दूर करने तथा बल बढाने के लिये उत्तम है।

    प्याज का रस दो किलो और एक किलो मधु धीमी आंच पर इतना पकाए कि प्याज का रस जल जाए और मधु बाकी रह जाए। फिर जावित्री, लौंग और केसर प्रत्येक पाच-ग्राम मिलाए-बस पौरुष बल की लाजवाब टानिक तैयार है।

    प्रमेह - भूसी ईस्पगोल पैसठ ग्राम, वादाम रोगन तीस ग्राम, मधु सवा-सौ ग्राम, चाँदी के वर्क चार ग्राम-पहले भूसी ईस्पगोल बारीक करके बादाम रोगन मे मल लें, और मधु मे चांदी के वर्क एक-एक करके घोलें। तत्पश्चात् सब चीजें मिला कर खरल करें। प्रात व साय चार-चार ग्राम इस औषधि का उपयोग करना प्रमेह के लिये गुणकारी है।

    बच्चों के रोग-मधु मे थोडा नमक डालकर हल्की आंच पर रखें। जब मधु फट जाय तो साफ पानी लेकर थोडा-सा मिलाए, बच्चो की खामी ___ के लिए लाभदायक टोटका है ।

    शुद्ध मधु पन्द्रह ग्राम तथा अर्क गुलाब, अर्क सौफ और अर्क पोदीना प्रत्येक तीस ग्राम। मधु को अच्छी तरह तीनो अर्को मे मिला कर दिन में तीन-चार वार दें, पेट दर्द मे अत्यन्त हितकर है।

    यदि बच्चे को हिचकी बहुत आ रही हो और स्वय बन्द न हो तो घोडा-सा मधु चटा दें, हिचकी ठीक हो जाएगी।

    यदि वच्चा सोते मे रो उठे तो समझ लीजिए कि वह बदहजमी के कारण स्वप्न देख रहा है। आप उसे कुछ दिन तक मधु चटाए, बदहजमी दूर होकर स्वप्न मे डरना और सोते मे रो उठने की शिकायत दूर हो जाएगी।

    तपेदिक-शुद्ध मधु माधा किलो, तवाशीर दो सौ ग्राम, दारचीनी, छोटी इलायची और तेजपात प्रत्येक वारह ग्राम । खूब बारीक करके मधु में मिला कर सुरक्षित रखें।

    चार ग्राम से पन्द्रह ग्राम तक, शोचनीय अवस्था मे तीस ग्राम तक भी उपयोग कराया जा सकता है। प्रात दूध के साथ सेवन किया जाने वाला तपेदिक के लिए यह एक उत्तम आयुर्वेदिक नुस्खा है ।


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