नमक से बिच्छू काटे का रामबाण उपचार
नमक से बिच्छू काटे का रामबाण उपचार
शायद आपने कभी न सोचा हो कि साधारण दैनिक प्रयोग मे पाने वाले नमक, जिसके कम और अधिक होने पर भोजन करने में मजा ही नहीं पाता, मे और कितने गुण छिपे हैं कि जिन्हे यदि हर समय ध्यान मे रखा जाए तो डाक्टर की कितनी फीसो से बच मकते हैं---
आई लोशन (आँख की दवा)-
अर्क सौफ बढिया पाठ ग्राम मे शीशा नमक छ ग्राक बारीक पीसकर अच्छी तरह मिला लें और शीणी मे बद रखें, प्रात व साय दो-दो बू दे अांखो मे डालने से सुर्वी, धुध, जाना, आँखो से पानी बहना आदि रोगो को दूर करता है।
कान-दर्द-
साठ ग्राम लाहोरी नमक (मफेद) 250 ग्राम पानी मे बारीक पीसकर मिलाए। जब विल्कुल घुल जाए तो इसमे 120 ग्राम तिल्ली का तेल मिलाकर धीमी भाच पर पकाएँ । जब पानी जलकर केवल तेल बच रहे तो उतारकर रख दें। दो-तीन दिन मे तेल ऊपर या जाएगा। इसे निथारकर शीशी मे रख लें। दो बूंद गुनगुना करके कान मे टपकाएँ, तीव्र से तीव्र दर्द भी तुरन्त वद होगा । कान बहने मे भी लाभदायक है।
पेट के कीडे-
नमक वारीक चार ग्राम प्रात. गाय की छाछ मे फाक लिया जाए, तो कुछ ही दिनो मे कीडे मर जाते हैं।
सरमा मोतीयाबिन्द-
लाहौरी नमक चमकदार पन्द्रह ग्राम, कूजा मिश्री तीस ग्राम-दोनो को खरल मे डालकर सुरमा बनाए। इसका इस्तेमाल प्रारम्भिक मोतियाबिंद मे प्रति लाभदायक है। इसके अतिरिक्त यह सुरमा घु घ, जाला, फूला इत्यादि के लिए भी प्रति गुणकारी है।
मेदा-विकार-
एक वर्षीय बच्ची काफी दिनों से बीमार थी। कभी दस्त हो जाते थे, कभी पेचिश और कभी कब्ज-यानि मेदे और पेट से सम्बन्धित बीसियो रोग अपने पजे गाडे थे। बच्ची को तीन ग्राम काला नमक एक चम्मच पानी में पकाकर दिया जाए जो कि तुरन्त दे दिया गया। यह देखकर मभी हैरान रह गए कि ऐक मामली-सी चीज़ ने ऐसा असर किया कि दस्त आदि बन्द हो गए भौर हाजमा ठीक होने लगा। बच्ची धीरे-धीरे स्वस्थ होने लगी और वह अब तक पूर्ण स्वस्थ है।
औषधि मात्रा-पायुनुकूल तीन ग्राम से छ ग्राम तक-यदि बच्चो को माम दो मास पश्चात मेदे और पेट की दोबारा शिकायत हो जाए तो दोबारा
अमृत-चूर्ण---
एक समय से ऐसे नुम्खे की आवश्यकता अनुभव की जा रही थी कि जो प्रत्येक रोग के लिए लाभदायक सिद्ध हो सके । इस समय तक अमृतधारा, सुधामि, प्राबेहयात, अर्क काफूर, चश्माए शफा इत्यादि कई । श्रीपधिया ईजाद हो चुकी हैं जो अकेली ही कई रोगो मे काम पाती हैं।
परन्तु वे मब प्राय तेल या अर्क के रूप मे ही मिलती है, और शीशी टूटकर प्रौपधि वेकार हो जाने का भय बना रहता है । परन्तु यहाँ एक ऐसा अद्भुत फार्मूला दिया जा रहा है जो अपने प्रभाव के कारण उपरोक्त औपधियो से किसी प्रकार भी कम नहीं है और खूबी यह है कि प्रौषधि चूर्ण के रूप मे तैयार होती है और साथ ही इसकी मात्रा भी केवल एक रत्ती-भर है। स्वाद में इतनी बढिया कि बार-बार खाने को मन चाहे ।
इनकी पहली खूबी यह है कि अपने अदभून प्रभाव से मेदे को मन में साफ करके मन्दाग्नि को तेज कर देती है। खाया-पिया यूब पचता है और नया खून पैदा होता है।
इसी प्रकार मितली, के, खट्टी डकारें, पेट का भारी रहना, जिगर की कमजोरी, तिल्ली, वायु गोला, दमा-खाँमी, नजला और मलेरिया के लिए उपयोगी है। इसके अतिरिक्त सिर-दर्द और दात-दर्द मे तथा विपले जीवजन्तुयो के काटने पर भी लाभदायक है-अर्यात मिर ने लेकर पाव तक के सभी रोग विभिन्न तरीको से दूर होते है । गृहस्थियो को चाहिए कि यह अमृत-चूर्ण बनाकर घर में सुरक्षित रखें और अावश्यकता पड़ने पर घरेलू रोगो का उपचार इसी प्रीपधि से करके डाक्टरो और हकीमो के भारी विलो से बचें । नुस्खा यह है :
काना नमक तीस ग्राम, शुद्ध नौमादर पन्द्रह ग्राम, धतूरे के वीज पाठ ग्राम, काली मिर्च दो ग्राम और सत पुदीना (क्रिस्टल) दो रत्ती ।
सब चीजो को बारीक पीसकर मिला लें । यदि रग बदलना हो तो पन्द्रह ग्राम हरमची या बाजारी कुश्ता फौनाद जा प्राय अग्रेजी औपधि विक्रेनानी से सस्ते दामो मे मिल जाता है, शामिल कर लें, बस औषधि तैयार है।
सेवन-विधि-प्राय यह पौपधि केवल जल के साथ ही सेवन की जाती है । परन्तु कई रोगो मे इसे विभिन्न तरोको से भी काम में लाया जाता है। दाँत-दर्द मे और विषैले कीडे के काटने पर इसे मलना चाहिए। प्राधे सिर के दर्द में इसे सू घना चाहिए, बुखार की हालत मे कम दूर करके अर्क अजवाइन के साथ देने से पसीना पाकर बुखार उतर जाता है। इसी प्रकार अनुभवी और समझदार चिकित्सक इसे प्रत्येक रोग मे उचित तरकीब से इस्तेमाल करवा सकता है।
यकी आँखो के लिए-
जब त्वचा में काफी तरावट नही रहती तो यह ढीली पड कर आँखो के आस-पास कुरियां पड़ जाया करती है। इसके लिए तो लम्बा इनाज है परन्तु दिन-भर काम करने के पश्चात् अाँखो के गिर्द जो गढे पड़ जाते हैं, उनके लिए नमक का उपयोग लाभदायक है। इनकी विधि यह है कि साधारण नमक का एक चम्मच प्राधा गिलास बहुत गर्म पानी में घोल लें। फिर एक बडी सी कपड़े की गद्दी बना लें और इसे नमकीन पानी मे हुबोएं, तनिक निचोडें और प्रांखें बन्द करके इसको ऊपर रख लें। इस गद्दी को उस समय तक रखना चाहिए जब तक कुछ ठण्डी न होने लगे। इसके पश्चात् फिर इसी प्रकार डुबोकर, निचोड कर, भाग्यो पर रखें। तत्पश्चात् कोई ठण्डी क्रीम आँखो के इर्द-गिर्द मिलें । नाँक के मिरे से उगलियां चलाकर हल्के-हल्के आँखो के पपोटो पर लाए और फिर वहाँ से नथने मे तनिक ऊपर घुमाकर लाएं। क्रीम को अब पोछ दें। हमेशा ऊपर के पर्दे पर हल्की-सी क्रीम लगाया करें ताकि दीर्घायु मे आखो के गिर्द रियों न पढ़ें और त्वचा में कालिमा ना आये, क्योकि यह दोनो लक्षण बड़ी उम्रके है।
विच्छू काटे का इलाज-
विच्छ के डक मारने का स्थान तनिक कठिनाई से मिलता है। विशेषकर रात्रि के समय बिल्कुल पता नही लग सकता । और जब तक ठीक डक के स्थान पर दवाई न लगे तब तक अच्छी मे अच्छी दवाई भी लाभ नहीं करती । यहाँ एक ऐसी दवाई दी जाती है जिसे केवल प्रांखो मे डालने से एक सैकड मे विप उतर जाता है, और मजे की बात यह कि इस पर कुछ खर्च भी नहीं होता। बनाकर मुफ्त बाँटिए, पुण्य होगा।
लाहौरी नमक पन्द्रह ग्राम और स्वच्छ जल पचहत्तर ग्राम मिलाकर रख लें, बस दवाई तैयार है। जिसे विच्छ काटे उसकी आँखो मे सलाई से लगाएं। 'जितना भी विप चढा होगा तुरन्त उतरना शुरू होगा और कुछ मिनटो के भीतर ही डक के स्थान पर भी दर्द न रहेगा।
मलेरिया का सफल इलाज-
किमी को प्रतिदिन या चौथे दिन सर्दी लगकर बुखार हो जाए तो यही समझना चाहिए कि रोगी को मलेरिया बुखार है।
एक सुप्रसिद्ध और अनुभवी वैद्य ने बताया कि मलेरिया का इलाज 'एक अत्यन्त माधारण-सी बात है, इसकी दवाई इतनी सस्ती है कि गरीब-से गरीब व्यक्ति भी इससे मासानी से लाभ उठा सकता है। यह दवाई है नमक का उपयोग । पहले तो मुझे उनके इस परामर्श पर अचम्भा-सा हुमा और उनकी बात का विश्वास भी न दया । परन्तु उनमयानगार नमपमा उपयोग करने में मलेरिया के रोगियों को ठीक करने में जिन्यानये प्रतिमान सफलता मिली।
सेवन-विधि-प्रतिदिन इस्तेमाल में ना जाने वाले साफ़ नमक को साफ-सुथरी लोहे की कड़ाही या तवे पर तरस अच्छी भून लिया जाए, जब तक की वह भूरे रंग का हो जाए। बच्चे के लिए पापा और जवान व्यमित के लिए पूग चम्मच यह नमक लेकर एक गिलाग पानी में उबाल लेना चाहि। जब नमक पानी में भली प्रकार घुल जाए तो रोगी को पीने योग्य या गर्म पानी उम समय पिला देना चाहिए जबकि उसे बुखार न चढा हो। इनमे नव्चे प्रतिशत रोगियों को दोबाग बुगार चढेगा ही नहीं । और यदि बुखार न उतरे तो नमक का यही इलाज दोबारा करें। तीसरी मात्रा की नितान्त पावश्यकता नहीं पडेगी। हो, रोगी को सर्दी से बचाने की घोर अधिका ध्यान देना चाहिए। ___
बेमिसाल सुरमा-
लाहौरी नमक के चमकदार और साफ टुकडे लेकर खूब बारीक पीस लें, यही वेमिसाल सुग्मा है । प्रासो मे कुपको हो, पानी बहता हो, फूला हो (परन्तु फूला चेचक का न हो) इस मुरमे का उपगेग कीजिए, सारे कष्ट भाग जाएंगे।
दर्द और जलन-
विच्छ, विपैली मक्सी और भिड इत्यादि के एक पर जरा-मा पानी लगावर बारीक पिसा हुया नमक रगड़ने मे दर्द भौर जलन बद हो जाती है और सूजन नहीं होती।
सिर-दर्द-
जिस व्यक्ति के निर मे दर्द हो उसे एक चुटकी नमक जबानः पर लेना चाहिए और दस मिनट पश्चात् एक गिलास ठण्डा पानी पीना चाहिए, सिर दर्द दूर हो जाएगा।
नजला-जुकाम-
सफेद नमक शहद मे गोध कर और कपडे मे लपेट कर तथा ऊपर मिट्टी लगाकर पाग पर रखें । मिट्टी मुर्ख हो जाए तो नमक को अन्दर से निकाल कर पीस लें। एक ग्राम रोजाना प्रात या भोजन के पश्चात् पानी से सेवन करना जुकाम-नजला, वायु और जोडो के दर्द के लिए लाभदायक है।
बद मासिक धर्म-
बच्चा होने के पश्चात् ठण्डी हवा या डण्डे पानी के हुनेमाल से गदै खून का बाहर निकलना बन्द हो जाता है इससे पेट में तीव्र पीडा और अफारा हो जाता है तथा योनि के ऊपर एक गांठ-सी पैदा हो जाती है, मत्र बिल्कुल रुक जाता है या थोडा-थोडा पाता है। कई बार गन्दे. खून के रुक जाने से टागो मे तील पीडा होती है। ऐमी अवस्था मे डेढ-डेढ ग्राम नमक गर्म पानी के माथ दिन में तीन बार खिलाएं, इससे गन्दा खून दोबारा जारी होकर निकल जाता है।
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