आयुर्वेद में इलायची के रामबाण फायदे
आयुर्वेद में इलायची के रामबाण फायदे
इलायची दो प्रकार की होती है। एक छोटी पौर दूमगे बढ़ी। छोटी इलायची का प्रभाव समशीतोष्ण होता है (याने न अधिक गर्म न यधिक सर्द) । दिमाग, दिल और मैदे को बल देने वाली है । जी मिचलाने, को, दमा, सामी, हिचकी, कफ पीर कब्ज़ के लिए गुणकारी है। मूत्र की जलन को दूर करती है, मूत्र को सोलती है, याने मूत्र की कमी को ठीक करती है, मेदै के बेकार क्षरित रस को खुएक करती है, मन प्रसन्न हो उठना है, फेफलो को बन मिलता है, पत्थरी की शिकायत को दूर करनी है, पान के माय गाई जाती है।
वही इलायची प्रभाव से गर्म और कुछ कब्ज करने वानी होती है, पनीना लाती है, स्फूर्तिदायक है और छोटी इलायची के गुणों के बराबर है। यह गर्म मसाले में डाली जाती है, दवाई के तौर पर भी उपयोग की जाती है।
प्यास फी तीव्रता-
यदि प्याम अधिक लगती हो तो चार किलो पानी मे तीम ग्राम छिलके उबालो। जब पानी लगभग पाया रह जाए तो ठण्डा करके उपयोग में लाए, रामबाण इलाज है।
पाचनवद्ध फइलायची के बीज, मौंफ और जीग-मब बगवर चजन (पन्द्रह-पन्द्रह ग्राम) तनिक भून लें। भोजन के पश्चात् नम्मन-भर उपयोग करें।
दूसरा योग-इलायची के बीच, मोंठ, लोग और जीरा-मब पन्द्रहमन्द्रह ग्राम । अगल-अलग पीस कर मबको भनी प्रकार मिला लें।
हैजे की रामवाण चिकित्सा-
बडी इलाइची, खुश्क पोदीना, खसखस, नागरमोथा--प्रत्येक पचहत्तर ग्राम । जायफल और लौंग प्रत्येक नब्बे ग्राम। सबको कूट-पीस कर तीन किलो पानी मे उबालें । पानी जब प्राधा रह 'जाए तो उतार कर छान लें और किसी मिट्टी के नई बर्तन या तावे के वर्तन मे भर लें। वर्तन का मुह खुला रहने दें, ताकि भाप निकल कर पानी ठण्डा हो जाए। बर्तन को हर तीसरे दिन किसी खटाई से साफ कर लें । हैजे के रोगी को दिन मे कई बार सेवन कराए।
शरद् ऋतु की खांसी-
दाना बडी इलायची, काली मिर्च, पिपली वड़ी, गिरी बादाम, मुनक्का (बीज निकाल कर) पन्द्रह-पन्द्रह ग्राम । गिरीवादाम ठण्डे पानी में भिगो कर छिलका उतार दें। अब सब चीजो को कडी में खूब घोटें, जितना अधिक घोटा जाएगा, दवाई उतनी ही अधिक लाभ करेगी। यदि सख्त हो तो पानी से तर कर सकते हैं । जब गोली बनाने योग्य हो जाए तो जगली वेर के वरावर गोलियां लें। रात्रि समय एक गोली मुह मे रख कर रस चूसें।
प्रमेह-
प्रमेह को दूर करने वाला इससे वढिया नुस्खा आपको शायद ही कही मिलेगा । साधारणत प्रमेह की जितनी भी पौषधियाँ हैं उन सबसे कब्ज हो जाती है, और कब्ज की हालत मे यह रोग और भी बढ जाता है । परन्तु इस चूर्ण मे यह गुरण है कि इसके सेवन से कब्ज विल्कुल नहीं होती। इसके अतिरिक्त यह चर्ण प्रभाव मे न अधिक गर्म है और न अधिक सर्द । वीर्य की कमी को घटाता और इसके पतलेपन को दूर करता है। इससे सेवन से वीर्य पर्याप्त मात्रा मे पैदा होता है । नुस्खा निम्नलिखित है
दाना वडी इलायची, दाना छोटी इलायची, असगध नागोरी, तज कलमी, सालव, तालमखाना-सव बरावर वजन वहुत वारीक पीस लें और कुल वजन के बराबर मिश्री पीस कर मिलाएं।
सेवन-विधि-नौ ग्राम से बारह नाम तक प्रात दूध के साथ उपयोग करें।
मूत्र-जलन और नया सूजाक-
सात बादाम गिरी (छिलका रहित), छोटी इलायची सात दाने-प्राधा किलो पानी मे खूब घोट-छान कर मिश्री मिलाकर दिन में तीन बार पिलाएँ । कुछ दिन मे पाराम होगा, रामवाणा है। यदि इममे धनियां और सदल का बुरादा प्रत्येक पांच ग्राम मिला लिया जाए तो और भी अधिक गुणकारी है।
हिचकी-
दाना बडी इलायची (तनिक भुना हुआ ) पांच ग्राम बारीक पीस कर इसमे दो तोले चीनी मिलाएँ। एक-दो वार गर्म पानी के साथ सेवन करने से हिचकी दूर हो जाती है।
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