• Latest Posts

    संक्रामक रोग शीतला से बचने के 7 उपाए

     

    7 ways to avoid infectious diseases Sheetla

    संक्रामक रोगों शीतला से बचने के 7 उपाए 

    १-इसके प्रकोप के समय मेले, तमाशे, तीर्थ और थिएटरों में न जाना चाहिए, और न वहाँ की किसी चीज़ को अपने काम में ही लाना चाहिए; विशेषकर बाजार की खाने-पीने की चीजें बिलकुल ही छोड़ देनी चाहिए। एक मकान में बहुत से मनुष्यों का रहना भी उचित नहीं है।

    २-यदि किसी रोगी को देखने का मौका पड़ जाय, तो दूर से देखना और बातचीत करना चाहिए। रोगी के कमरे में खुली हवा में खड़ा रहना चाहिए और उस कमरे के किसी भी स्टूल, कुर्सी, खाट, पलँग, दरी आदि पर न बैठना चहिए.।

    ३-शीतला के प्रकोप में अपने कपड़े साफ़ रखने चाहिए । जब कभी बाहर से आए, तो पहने हुए कपड़ों को बाहर ही किसी खूटी में टॉग दे और फिर हाथ-पैर धोकर दूसरे कपड़ों को पहने तथा खाने-पीने की चीजों को छुए।

    ४-घर में ही ऐसा रोगी होने पर बच्चों और गर्भवती स्त्री को दूसरे स्थान में रखना चाहिए और रोगी के कमरे में खाने-पीने की चीजें तथा ओढ़ने-बिछाने के कपड़े, मेज, कुर्सी आदि कोई भी वस्तु न रखनी चाहिए। इसके सिवाय पूर्व-लिखित स्वारथ्य के नियमों को पूर्ण रीति से पालन करना चाहिए।

    ५-शीतला के प्रकोप होने पर टीका लगाना अत्यन्त आवश्यक है । यह टाका विना रोग के हर तीसरे-चौथे वर्ष में लगा लेना अत्युत्तम है। बच्चों के लिए पहले ही साल में टीका लगाना उत्तम है। इसके लगाने से शीतला-रोग का भय नहीं रहता; क्योंकि इसके लगाने से साधारण-ज्वर केवल तीन-चार दिन तक रहता है और किसी प्रकार की विकृति नहीं होती है। बाद में टीका लगने पर माता निकल आएँ, तो वह बहुत कमजोर और शीघ्र ही सूखने वाली होती हैं, और छः-सात दिन में बिलकुल आरोग्यता हो जाती है।

    ६-रोगी के वस्त्रादि को प्रति दिन तृतिए के जल में साफ करना चाहिए । शरीर की त्वचा गलने पर नीम के पत्ते और हल्दी का चूर्ण हर समय शरीर में लगाना चाहिए; और उतरी हुई स्वचा को कम से कम दो घण्टे तूतिए के जल में डाल कर याद को जमीन में गाड़ देना चाहिए।

    ७-शीतला के रोगी के पास हर एक आदमी को आनाजाना नहीं चाहिए। केवल एक ही मनुष्य को उसके पास सदा स्वच्छ भाव से रहना चाहिए ।

    No comments