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    सुख की खोज झूठी खोज है - ओशो

     सुख की खोज झूठी खोज है - ओशो

       सुख की खोज झूठी खोज है - ओशो

           मैंने सुना है, एक मुसलमान बादशाह था, एक रात अपने पहल में सोया हुआ था। अंधेरी रात है, आधी रात है, ठंड के दिन हैं, सर्दी जोर से है। उसने देखा, उसके छप्पर पर कोई ऊपर चल रहा है। पुराने जमाने के मकान थे। छप्पर हिलने लगा। उ सने पूछा, कौन है इस अंधेरी रात में? आधी रात में छप्पर के ऊपर कौन है ? और राजा के भवन के ऊपर! ऊपर से आवाज आयी, मैं हूं एक नागरिक। राजा ने पूछा , नागरिक हो? और भवन के ऊपर छप्पर पर क्या कर रहे हो? क्या तुम चोर हो ? उसने कहा कि नहीं, चोर नहीं हं, बल्कि मेरा ऊंट खो गया है, उसको खोज रहा हूं। राजा ने कहा, पागल, ऊंट खो जाए तो उसे भवन के छप्परों पर खोजा जाता है? ऊंट कहीं छप्परों पर खोता है? या छप्परों पर खोजने से मिल जाएगा? ऊपर से आवाज आयी कि मैं तो आपका ही अनुकरण कर रहा हूं। अगर आप सिंहासन पर बैठकर सोचते हैं कि सुख मिल जाएगा, अगर आप सोचते हैं कि धन मिलने से सु ख मिल जाएगा, अगर आप सोचते हैं, राज्य उपलब्ध हो जाने से प्राणों की प्यास तृप त जाएगी, और अगर आप सही हैं तो फिर मैं कौन सी बड़ी भूल कर रहा हूं? छप पर पर ऊंट भी खोया हुआ मिल सकता है।

              राजा हैरान हुआ। वह आदमी पागल नहीं मालूम होता। भागकर बाहर आया। उसने लोगों को कहा, पकड़ो, ऊपर कोई है। वह आदमी तो नहीं मिला, बहुत खोजा। छ प्पर पर तो नहीं मिला, लेकिन दूसरे दिन एक और घटना घटी। दूसरे दिन राजा भी महल में खोजने से नहीं मिला। वह भी रात ही चला गया।

              छप्पर पर ऊंट खोजने से नहीं मिलेगा। छप्पर पर ऊंट खोता भी नहीं है। लेकिन हम सारे लोग वहीं खोज रहे हैं। हम खोज रहे हैं सुख। क्यों खोज रहे हैं सुख? सुख खोज रहे हैं, ताकि दुख मिट जाए। एक आदमी बीमार हो, स्वास्थ्य को खोजे–क्या होगा? क्या स्वास्थ्य खोजा जाता है? वह दौड़ता रहे दुनिया में और स्वास्थ्य की खोज करता रहे तो क्या होगा? स्वास्थ्य नहीं खोजा जाता। बीमारी मिटायी जाती है, बीमारी नष्ट की जाती है। जो जानते हैं वे सुख को नहीं खोजते, बल्कि दुख को मिटाने का कोई उपाय करते हैं। दुख मिटाया जा सकता है, सुख नहीं पाया जा सकता। और जो सुख को पाने में जाएगा वह ज्यादा से ज्यादा दुख को भुलाने में समर्थ हो सकता है। थोड़ी देर के ि लए विस्मरण हो सकता है, थोड़ी देर के लिए भूल सकता है, लेकिन दुख मिटेगा न हीं। दुख को मिटाना है तो दुख के कारण को जानकर, कारण को नष्ट करने से दुख नष्ट हो जाएगा और जो दुख को नष्ट कर देता है, वह जरूर सुख को उपलब्ध हो जाता है। और जो सूख को खोजता है, वह दुख को कभी नहीं मिटा पाता।।
    - ओशो

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